Saturday, October 7, 2023

#शे्र

 रास्ता मुश्किल है माना इस सफर का ,

देख लेंगे फिर चल के मंजिल-ए-मकसूद।


हर कहीं फैले हुए हैं बस हवा के लोथड़े,

जो बने बीनाई के अब हमसफर महदूद।


#मंजिल-ए-मकसूद = लक्ष्य, #महदूद = सीमा #बीनाई =रोशनी 


#शेर 

©सूर्यप्रकाश गुप्त/०६-१०-२०२३

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